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आखिर कौन है सरयूपरिणी ब्राह्मण

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सरयूपारीण ब्राह्मण सरयूपारीण ब्राह्मण या सरवरिया ब्राह्मण या सरयूपारी ब्राह्मण सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। यह कान्यकुब्ज ब्राह्मणो कि शाखा है। श्रीराम ने लंका विजय के बाद कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से यज्ञ ब्राह्मण करवाकर उन्हे सरयु पार स्थापित किया था। सरयु नदी को सरवार भी कहते थे। ईसी से ये ब्राह्मण सरयुपारी ब्राह्मण कहलाते हैं। सरयुपारी ब्राह्मण पूर्वी उत्तरप्रदेश, उत्तरी मध्यप्रदेश, बिहार छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में भी होते हैं। मुख्य सरवार क्षेत्र पश्चिम मे उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर से लेकर पुर्व मे बिहार के छपरा तक तथा उत्तर मे सौनौली से लेकर दक्षिण मे मध्यप्रदेश के रींवा शहर तक है। काशी, प्रयाग, रीवा, बस्ती, गोरखपुर, अयोध्या, छपरा इत्यादि नगर सरवार भूखण्ड में हैं। एक अन्य मत के अनुसार श्री राम ने कान्यकुब्जो को सरयु पार नहीं बसाया था बल्कि रावण जो की ब्राह्मण थे उनकी हत्या करने पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए जब श्री राम ने भोजन ओर दान के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित किया तो जो ब्राह्मण स्नान करने के बहाने से सरयू नदी पार करके उस पार चले ग...

हमारा ब्राह्मण समाज

ब्राह्मण  (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का सर्वोच्च वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार  वर्ण  होते हैं।  ब्राह्मण (आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी),  क्षत्रिय  (धर्म रक्षक),  वैश्य  (व्यापारी) तथा  शूद्र  (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार -  ब्रह्म जानाति ब्राह्मण:  -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। यद्यपि भारतीय जनसंख्या में ब्राह्मणों का प्रतिशत कम है, तथापि धर्म, संस्कॄति, कला तथा शिक्षा के क्षेत्र में इनका योगदान अपरिमित है। इतिहास ब्राह्मण निर्धारण - जन्म या कर्म से ब्राह्मण का व्यवहार सम्प्रदाय ब्राह्मणों की उपजातियां ब्राह्मणों की वर्तमान स्थिति इन्हें भी देखें सन्दर्भ